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शिक्षक समस्याएँ
1. मेडिकल सुविधाएं*** 2. CGHS*** 3. MACP*** 4. सातवें वेतन आयोग का एरियर*** 5. प्रमोशन*** 6.अपग्रेडेड पे स्केल ***7.RTE का पूर्ण अनुपालन ***8.रिक्त स्थानों की जल्द से जल्द भरती ***9.प्राथमिक शिक्षकों को ४६०० ग्रेड पे ***10.अन्य श्रेणी के शिक्षकों को भी प्रोन्नति के अवसर ***11.संगीत शिक्षकों को TGT ग्रेड ***12.सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ७ वेतन मान का लाभ और समय से वेतन ***13.प्रोजेक्ट के विद्यालयो में कार्यरत कर्मचारियों को समय से वेतन 14.आश्रित परिवारों का त्वरित समायोजन ***

Saturday, May 26, 2018

संवाद

प्रिय मित्रों,
आज दिनाँक 26/05/2018 को आपसे मिल रहा हूँ तो कुछ बिंदु आपसी संवाद हेतु।
**कक्षा 12 का परिणाम* - आशा और मेनहत के अनुरूप जैसा विगत वर्षों में होता रहा है,इस बार पुनः केंद्रीय विद्यालय संगठन का परिणाम देश मे सर्वश्रेष्ठ रहा।सभी साथी जो इससे प्रत्यक्ष या परोक्षरूप से जुड़े है,उन सबको बधाई।
मेरी चिंता और कौतूहल का कारण परिणाम में किसी भी केंद्रीय विद्यालय संगठन के विद्यार्थी का टॉप 10 में न होना है।
क्या कारण है??प्राइवेट स्कूलों की छोड़िये,क्यों नवोदय के छात्र,छात्राएं प्रतियोगी परीक्षाओं में हमारे बच्चों से ज्यादा सफल है??
आजकल माननीय सूचना प्रसारण मंत्री श्री राज्य वर्धन सिंह राठौर का *हम फिट तो इंडिया फिट चैलेंज चल रहा है,माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी देश के सफल और बड़े लोगो को शिक्षा और शिक्षण कार्य मे सहयोग की बात कही है।*
क्या हमारे बच्चे टॉप 10 में आये,इस हेतु कुछ किया जा सकता है??क्या माननीय प्राचार्यगण,आयुक्त,उपायुक्त, संयुक्त आयुक्त,अतिरिक्त आयुक्त आदि आदि लोग *मेधावी बच्चों को गोद ले,1 से 5 तक ,ये 10 वी के परिणाम के आधार पर,हो सकता है।इन बच्चों का मार्गदर्शन करें,सहायता करें और सहयोग ताकि हमारे बच्चें भी अगले कुछ वर्षो में टॉप 10 में जगह बनाये।*
केवल शिक्षकों में कमियां निकलना आसान है और सबसे सरल,पर क्या इस तरह की पहल हम कर सकते है???
*हमारे बच्चे सफल तो ही हम सफल???*

सदा की तरह आपके विचारों और सुझावों का इंतेजार और स्वागत रहेगा।

आपका

उमाकान्त त्रिपाठी।

Friday, May 18, 2018

संवाद

प्रिय मित्रों,
आज सायंकाल दिनाँक 18/01/2018 को आपसे मिल रहा हूँ तो कुछ बिंदु आपसी संवाद हेतु।

1.अखिल भारतीय केंद्रीय विद्यालय शिक्षक संघ की आंतरिक स्थिति-विगत दिनों इस संघ के आंतरिक उठापटक और खींचतान से आप सभी परिचित है।

RKVAS के साथियों से हमारी वैचारिक मतभिन्नता थी,है और रहेंगी ,वे हमारे विरोधी तो हो सकते है पर दुश्मन नही, किसी की नौकरी ले लेना, पेट पर लात मारना, डराना, धमकाना कब से अखिल भारतीय केंद्रीय विद्यालय शिक्षक संघ की कार्य शैली हो गयी।याद रखिये अन्याय करने वाला और उसे ऐसा करने देने वाला मूकदर्शक बन कर दोनों एक समान पाप के भागी है।

संघ का पदाधिकारी होने के कारण कोसिस की ये बात किसी तरह से बन जाए और ये विघटन और खींचतान और आपसी नुराकुस्ती बन्द हो।

मैं ये विषय सार्वजनिक मंच पर नही उठता परंतु शिक्षकों के प्राचार्यो और माननीय उपायुक्तों को उसकी प्रति भेज कर ,जो डर और भय का माहौल बनाया जा रहा है,उससे चिंतित हूँ,और शर्मशार भी,दोनों पक्षों की या कहे कि तीनों पक्षों की अपनी आपसी अहम है ,तर्क है और कुतर्क

अगर किसी विषय पर कोई बात कहनी भी थी या है तो उसे संघ के अंदर कहा और किया जाना चाहिए परंतु शिक्षक/शिक्षिकायों के प्राचार्यो और उपायुक्तों को प्रति भेजना निंदनीय है।
क्या नियुक्ति की सूचना प्राचार्यो और उपायुक्तों को दी गयी थी??
नही तो अब क्यो??वो भी बिना दूसरे का पक्ष जाने और सुने??
इससे स्पस्ट है कि निर्णय लिया जा चुका है बस उस पर किर्यान्वित करना बाकी है।
अच्छा है,रोज रोज के ताम झाम से छुटकारा मिलेगा।

अब रही बात 6 मई के मीटिंग के आयोजन की बात ,ये मीटिंग होनी है,इसकी सूचना सभी पदाधिकारियों, केंद्रीय विद्यालय संगठन के सक्षम अधिकारियों को थी,तो उस समय ये मीटिंग गैर कानूनी है,असंवैधानिक है,याद क्यो नही आया??इस बात की सूचना सार्वजनिक पटल पर सोशल मीडिया में देकर हम गए थे तब ही दो शब्द कह देते।
क्यों नही इस बारे में लिखा गया??
अब जब एक पक्ष ने दूसरे को निकाल दिया है तो दूसरा पहले को निकालने में लगा है।

हां इसमे जैसे गेंहू में घुन पिसता है हम जैसे अनेकों साधारण लोग पीस रहे है और पिसेंगे,इन सभी के आपसी अहम और महत्वकांशा में।

परम पिता परमेश्वर पर मुझे पूरा विस्वाश है कि वह न्याय करेंगे पर सभी पक्षों से कहना चाहूंगा कि आप लोगो की आपसी राजनीति के कारण जो शिक्षकों का एक मात्र मंच था जिससे वह अपनी बात कह लेते थे,उस पर आपने जो कुठाराघात किया है उस हेतु ईस्वर कभी भी आप लोगो को माफ नही करेंगे।
आज जो एक व्यक्ति aikvta और aikvta एक व्यक्ति में सिमट गई है वहउचित है और न शिक्षकों के हित मे।

अगर कोई आरोप लगे है तो उसका जवाब चाहे एक आम शिक्षक ने ही क्यो न लगाएं हो दिया जाना चाहिए था,हम अवश्य समय सीमा में जवाब देंगे,विस्वास रखें।
किसी भी लोकतांत्रिक समाज मे आलोचना और संवाद सदा होते रहने चाहिए।
मेरा मानना है जो नेतृत्व आलोचना और संवाद से डरता हो या डरता हो उस हेतु लोकतंत्र में कोई जगह नही हो सकती।

अब रही बात कुछ मुद्दों की जिसे मैंने 6 मई की मीटिंग में भी रखा था,फेसबुक पर लाइव था,उसे आप सभी अक्षरशः सुन सकते है।

1.श्री सुरेश कुमार शर्मा जी से गलती हुआ है,इसमे दो राय नही पर उसे हमे संघ के अंदर सुलझाना चाहिए था,संवाद से विचार विमर्श से।कुछ वरिष्ठ लोगो को माननीय आयुक्त जी से मिल कर इस घटना हेतु छमा और खेद प्रकट करके मामले को खत्म करने की कोसिस की जानी चाहिए थी न कि इस मामले को तूल देकर,आग को और भड़का करकिसी के नौकरी पर बात आ जाये इसका मैं कभी समर्थन नही कर सकता।

2.श्री बिसेन जी और महेश  शर्मा जी के मामले में संघ के महासचिव के द्वारा शिक्षकों की शिकायत करना गलत और निंदनीय था और है।ये संघ का काम नही है।
हम अगर किसी का भला नही कर सकते तो बुरा भी न करें।

3.श्री नयन जी का 6 वर्षो हेतु निष्कासन जल्दबाजी में बिना नैसर्गिक न्याय के नियमो का पालन करके हुआ।

4.अलग संघ बनाना सबका लोकतांत्रिक अधिकार है पर किसी संघ को इस प्रकार गैर मर्यादित और गैर लोकतांत्रिक तरीके से तोड़ना गलत था,है और रहेगा।

5.एक हारे हुए प्रत्याशी श्री सुखबीर सिंह मालिक जो न 25 में है,न 125 और न 625 में उनको संघ का अध्यक्ष बना देना गलत था,है और रहेगा। **उन पर और उनके कारण MACP न मिलने का आरोप और उनके कार्यकाल में कोई लेखा जोखा न देने का आरोप है पर उसका समुचित उत्तर आज तक उन्होंने नही दिया।
*
6.बिना किसी को मौका दिए ,नैसर्गिक न्याय का पालन किये हुए पूरे CEC को,9 संभागीय इकाइयों को भंग करना भी अनुचित कदम था है।किसी से विरोध होने के कारण आप सभी को बाहर निकल दे,ये गलत है,न्याय नही।
*
रही बात तर्क की और कुतर्क ही,सभी पक्षों की आप रोज सुन रहे है और सुनेंगें, आप सभी उस पर विचार कर निर्णय ले कौन सही और कौन गलत।

जब अब हर मामले में केंद्रीय विद्यालय संगठन को लाने की परिपाटी बन गयी है तो सभी पक्षों ने अपने दावे संगठन के सामने ठोक दिए है। न्याय यहीं कहता है कि अब केंद्रीय विद्यालय संगठन ,न्यायालय के निर्णय का इंतेजार करें और जो भी निर्णय होगा सबके सर् माथे पर।

अंत मे यहीं की अभी भी समय है,बड़ी बड़ी लड़ाई मेज पर विचार विमर्श से खत्म होती है।ये एक आंख के बदले में आंख की परिणति में संघ का ही विघटन न हो जाए।बाकी प्रभु इक्छा ।

सदा की तरह आपके विचारों और सुझावों का इंतेजार रहेगा।

आपका

उमाकान्त त्रिपाठी।

Friday, April 27, 2018

संवाद

प्रिय मित्रों,
आज दिनाँक 27/04/2018 को सायंकाल आपसे मिल रहा हूँ तो कुछ बिंदु आपसी संवाद हेतु।

1.अदभुत, अविस्मरणीय, अकल्पनीय निश्चित रूप से जिस द्रुत गति से एक संघ के पदधिकारियो ने माननीय न्यायालय की शरण ली,वे काबिल के तारीफ है,निर्णय दिनाँक 23 और 24 के माननीय न्यायालय के निर्देश जो कि उन्होंने दो अन्य याचिकाओं पर डाली थी,प्रत्याशित और सुनिश्चित ही था।
यहाँ एक बात स्पस्ट कर दूं कि केस के मेरिट पर अभी कोई चर्चा तक नही हुआ है।
एक बात और माननीय न्यायालय के समक्ष OA में पहली बार किसी संघ ने केवल अपने सदस्यों के लिए ही सहायता और छूट मांगी और मिल भी गयी।
ये गलत परिपाटी और खतरनाक प्रेसेंडस होगा।
कल दूसरे संघ भी इस पर चले तो???

2.2014-2015 और 2018-19 में शुन्य रिक्तता दिखाई गई है,अतः कई प्राचार्य योग्य उम्मीदवारों को भी फॉर्म नही भरने दे रहे??
क्यो??सबके अपने अपने तर्क है।इस पर मुख्यालय से स्पस्टीकरण जारी करवाने की जरूरत है।कल रिक्तता जो कि हर बार बढ़ और घट सकती है,जिसे सूचित भी किया गया है,उससे जो लोग योग्य है,उनका हक मार जाएगा।
2018-19 हेतु 5 वर्ष की योग्य और रिक्तता बढ़ घट सकती है,से स्पष्ट है कि फॉर्म भरने दिया जाना चाहिए।
पर ये प्राचार्यो के अहम और नाक की लड़ाई बन गयी है,वे ही सही है।
इस हेतु स्पस्टीकरण जारी होने चाहिए,ताकि अन्याय से बचा जा सके।
वैसे फॉर्म प्राचार्य क्यो शिक्षक का भरेंगे,ये तर्क और नियम ही गलत है,फॉर्म कर्मचारी भरे,जिसे सक्षम अधिकारी नियम अनुसार माने या न माने।
ऐसे तो कोई जवाबदेही तय कैसे होंगी।प्राचार्य ने फॉर्म भरा भी है कि नही??उसकी प्रति तक नही दी जा रही ताकि कर्मचारी अपना केस तो रिप्रेजेंट कर सके??क्या कोई कार्यवाही होगी???

3.अब बात अन्य संवर्ग के शिक्षकों की -जीस तीव्र गति और तत्परता से कुछ सौ लोगो के हित हेतु माननीय आयुक्त से लेकर माननीय न्यायालय तक का दरवाजा खटखटाया गया,ऐसा दूसरे संवर्गो के लिए क्यो नही??
क्या वे सदस्य नही है??क्या वे सदस्यता शुल्क नही देते??
विचार करें और निर्णय ले।क्या कुछ सौ स्नातकोत्तर शिक्षक ही संघ में रहे तो मान्यता भी मिल सकती है??

वर्षो से प्राथमिक शिक्षकों के ग्रेड पे,अपग्रेड पे जिससे सभी प्रभावित है,म्यूजिक टीचर,सिलेक्शन स्केल,मेडिकल,ट्रांसफर,और न जाने कितने मामले है,उसमे ऐसी तत्परता क्यो नही दिखायी गयी।

याद रखिये,जो सत्ता में है वे ही उनका सुख भोगते है,बाकी देश की राजनीति की तरह धर्म,जाती, राज्य और न जाने क्या क्या के नाम पर सिर्फ वोट बैंक है,जिनका साल में अप्रैल में मेंबरशिप के दौरान सिर्फ पूजा जाता है।
अतः अपने अपने संघो में रहकर अपने अधिकारों के प्रति भी सजग रहे,दबाव बनाए और आपसी भाईचारे को बनाये रखें।
दुख सुख में आपका साथी आपके और आप उसके काम किसी संघ या विचारधारा को देख कर नही देंगे।

सदा की तरह आपके विचारों और सुझावों का इंतेजार और स्वागत रहेगा।
विस्तृत ब्लॉग पर।

आपका
उमाकान्त त्रिपाठी।