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शिक्षक समस्याएँ
1. मेडिकल सुविधाएं*** 2. CGHS*** 3. MACP*** 4. सातवें वेतन आयोग का एरियर*** 5. प्रमोशन*** 6.अपग्रेडेड पे स्केल ***7.RTE का पूर्ण अनुपालन ***8.रिक्त स्थानों की जल्द से जल्द भरती ***9.प्राथमिक शिक्षकों को ४६०० ग्रेड पे ***10.अन्य श्रेणी के शिक्षकों को भी प्रोन्नति के अवसर ***11.संगीत शिक्षकों को TGT ग्रेड ***12.सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ७ वेतन मान का लाभ और समय से वेतन ***13.प्रोजेक्ट के विद्यालयो में कार्यरत कर्मचारियों को समय से वेतन 14.आश्रित परिवारों का त्वरित समायोजन ***

Wednesday, March 14, 2018

संवाद

प्रिय मित्रों,
आज सायंकाल दिनाँक 14/03/2018 को आपसे मिल रहा हूँ तो कुछ बिंदु आपसी संवाद हेतु।

1.7 सीपीसी का एरियर और सौतेला व्यवहार-कल एरियर की खबर पर उसके साथ केंद्रीय विद्यालय संगठन के साथ सरकार का सौतेला व्यवहार,सच मे दुखदायी और पीड़ाजनक है।बहुत सारे शिक्षकों ने सोशल मीडिया पर खूब भड़ास निकाली और और निकाल रहे है,की दोनों यूनियन के लोग सिर्फ अपने फायदे और स्वार्थ के लिए चिपके पढे हुए है।ये लोग नवोदय के साथियों से सीखना चाहिए।एक साथी ने 25 केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों पर ही उंगली उठायी।
मेरा निवेदन इस पर इस प्रकार है।

1.हम निश्चित रूप से असफल हुए है और ईमानदारी से कहूँ तो होंगे आगे भी,कारण ये है कि हम सब भगत सिंह चाहते है पर अपने घर मे नही दूसरे के।

2.कितने साथी अगर यूनियन के पदाधिकारियों के साथ अन्याय जो कि हमेशा होता है,उनके कहने या उनके संकट की घड़ी में साथ देंगे ???कजोड़िया जी याद है अगर नही तो गूगल कर लीजिए,फेसबुक पर चले जाइये ,सैकड़ो पन्ने मिल जाएंगे,कितनों ने उनका साथ दिया ।आज वे नौकरी से निकल दिए गए है,क्यो??

3.हम जब आपके विद्यालयों में सदस्य बनने की गुजारिश लेकर आते है तो कितने लोग स्वयं आगे बढ़कर इसमे आते है।विचार करे,ऐसा लगता है कि हम भीख मांग रहे है या हमारे साथी हमे 120 रुपये का हफ्ता दे रहे पूरे साल के सुरक्षा के बदले।

4.मित्रो आपको नेतृत्व वैसा ही मिलेगा जैसे आप होंगे,अगर आप स्वार्थी होंगे तो आपके पदाधिकारी भी ऐसा ही होंगे,जो नही होंगे उन्हें परिस्थितियों ने बना दिया है या बना देगी।हम सब साधारण परिवार से अपने परिवार के लिए नौकरी करते है,कोई यहाँ धर्म कर्म करने नही आया।पहले अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा उसके बाद जो बन पाया वही एक समझदार आदमी करेगा।

5.पहले भी कहा है ,हमारे प्राचार्य से लेकर ऊपर तक के अधिकारी सिर्फ माननीय आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त प्रशाशन को छोड़ कर एक ही नाव में सवार है और सबके हेतु एक ही नियम और प्रभाव है,पर ये जैसे ही अधिकारी बन जाते है अपने को खुदा मान लेते है और शिक्षकों को गुलाम।एक वरिष्ठ साथी ने हाल में ही फेसबुक पर लिखा कि जो पेंशनर के लिए liason ऑफ़सर थे वे अब रेटिरमेंट के बाद अपने पेंशन हेतु भटक रहे है।कितना विचित्र पर संयोग है।

6.रही बात नेताओं और पदाधिकारियों की,उन्होंने भी सच्चाई को समझ और इसे नियति मांग लिया है।हमारे दो एसोसिएशन में दुर्भाग्य से एक मे नेताओं की कमी नही है पर कोई कार्यकर्ता नही बनना चाहता और दूसरे में कार्यकर्ता है पर नेताओं का सर्वथा अभाव ।
सबसे बड़ी बात एक दूसरे पर अविस्वाश और एक भय की अगर कोई कार्य किया तो केंद्रीय विद्यालय संगठन तो एक मौका ढूढ़ रहा है,ठिकाने लगाने को,उस घड़ी में कोई साथ नही देगा,अब सब कजोड़िया जी जी तरह शहीद होने के लिए कफन तो बांध नही लेंगे।

अंत मे आने वाले दिन और अंधकारमय होंगे,समय और हालात की मांग है कि हम एक साथ विचार करे और अपनी कमियों और कमजोरियों को दूर करे।
संगठन में ही शक्ति है और हम अपने आपसी मतभेद भूला कर,इस पर पर पा सकते है।अगर दशको से धुर विरोधी सपा, बसपा एक साथ हो सकते है तो हम क्यो नही,इसका क्या परिणाम हुआ आप सभी टीवी पर आज देख ही रहे है,भाजपा का विजय रथ रुक गया।
आशा और विश्वास की हम एक होंगे।
सदा की तरह आपके विचारों और सुझावों का स्वागत और इंतेजार रहेगा।
विस्तृत ब्लॉग पर कुछ और जानकारी और तथ्यो के साथ।

आपका
उमाकान्त त्रिपाठी।