प्रिय मित्रों,
आज सायंकाल दिनाँक 19/04/2018 को आपसे मिल रहा हूँ तो कुछ बिंदु आपसी संवाद हेतु।
1.सत्यमेव जयते,सत्य परेशान हो सकता है पर पराजित नही।सुरेश कुमार शर्मा जी के अलग संघ बनाने से मैं व्यक्तिगत रूप से सहमत नही,पर उनकी निष्ठा, लगन और शिक्षकों के समस्यायों के प्रति उनकी लगन और कार्य को मैं सम्मान करता हूँ।
शर्मा जी के द्वारा जाने अनजाने में अगर कोई गलती भी हुआ है तो इसे अपवाद ही माना जाना चाहिए, ये प्रशंशनीय है कि जैसे ही उनका ध्यान इस ओर दिलाया गया उन्होंने बदकपन दिखाते हुए इस पर खेद व्यक्त किया बल्कि माननीय आयुक्त जी के प्रति सम्मान भी प्रकट किया।
ये स्वाभाविक है कि शिक्षकों की समस्याओं से निराकरण में कभी कभी अपेक्षायो का बोझ इतना हो जाता है कि व्यक्ति भावावेश में त्रुटि कर जाता है,आखिर कार हम सब मनुष्य है ।
संकट के समय मे ही अपने परायो का पता चलता है।मेरी आप सभी शिक्षक साथियों से अनुरोध है कि जब कभी किसी भी साथी पर कोई संकट आए, अपने तमाम वैचारिक,व्यक्तिगत और आपसी मतभेद को भुला कर उसका साथ दे और उसे संबल प्रदान करें।हर कर्मचारी से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने अधिकारों और कर्तव्यों दोनों के प्रति सजग रहे और सदैव मान और मर्यादा का ख्याल रखें।
2.विगत दिनों केंद्रीय विद्यालय संगठन मुख्यालय का एक पत्र आया कि बोर्ड ऑफ गोवेटनर्स की मीटिंग में तय किया गया है कि पिछले साल जिन साथियों की नियुक्ति जोनल आधार पर हुआ है और इस कारण पति पति अगर सरकारी/अर्धसरकारी/स्वायत्त साषी निकायों में कार्यरत है तो उन्हें पास लाने हेतु उनसे चॉइस स्टेशन मांगा गया है,जो 20 तक जाना है।
बड़ी अजीब बात है कि ,किसी भी संघ और पदाधिकारी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नही दी।
मेरा निवेदन इतना है कि ऐसा लाभ केवल 2017 वालो को ही क्यों, बाकी ने क्या पाप किया है??
ये लाभ वार्षिक स्थानांतरण से पहले देकर क्या जो हार्ड,वेरी हार्ड में बैठे है उनके हक को मारा नही जा रहा??
बाकी सभी शिक्षक/शिक्षिकाओं को स्पाउस ग्राउंड हेतु वार्षिक स्थानांतरण में प्रावधान जब किया ही गया है तो उसी में इस साथियों को अगर लाभ देना भी था तो देते पर ये अलग से प्रावधान और वार्षिक स्थानांतरण से पहले न न्यायसंगत है और न तर्कसंगत।
ये कुछ अपने लोगो को लाभ पहुँचाने का प्रयाश प्रतीत होता है।
पिछले वर्ष भी हार्ड वेरी हार्ड वाले 50 से 100 पॉइंट लेकर मुह ताकते रहे और 4 पॉइंट वाले दिल्ली में अपने स्थान में स्थानांतरण पा गए।
अतः बाद में पछताने/कोसने से अच्छा है कि इसपर समय रहते आवश्यक कार्यवाही की जाए।
3.विभागीय परीक्षाओं में छूट-कुछ साथियों के मांग/दबाव और सदस्यता के समय को देखते हुए लगभग सभी संघो ने माननीय आयुक्त जी को पत्र लिखा है।पर क्या कुछ होगा,विधि और कानून के अनुसार ,नही।
हमे समझना चाहिए कि नियम में सुधार और बदलाव हेतु मांग और प्रतिवेदन देने का सही समय जब इस पर विचार समिति कर रही हो तब होता है जिसने 2017 में किया पर किसी ने न इस पर गौर किया और न प्रतिक्रिया।
माननीय आयुक्त जी BOG के द्वारा पारित नियम को सहानुभूति रखने के बाद भी बदल सकने में सक्षम नही है।
नियम अनुसार जिसने नियम बनाया है ,वही उसमे बदलाव,पुनर्विचार और संशोधन कर सकता है।
अंत मे विगत दिनों सोशल मीडिया पर कई राजनीतिक दलों के महिला प्रवक्ताओं की एक साथ सैर सपाटे की तस्वीर के साथ कैप्शन था कि ये लोग स्टूडियो में बिल्लियों की तरह लड़ते है और यहाँ एक साथ छुट्टियां मना रहे है।
मित्रों ये संघ में भी होता है,बड़े बड़े नेता लोग आपस मे ,संघ के नाम पर,व्यक्तिगत बुराई, आलोचना करते है, भला बुरा कहते है पर हाल में ही जब सेवानीवरित्त शिक्षकों ने पुतला दहन हेतु आंदोलन किया तो मंच पर एक साथ हँसी मजाक कर रहे थे।
अतः निवेदन की अपने व्यक्तिगत सम्बन्धो को ,जाति, धर्म, सम्प्रदाय और संघ कर नाम पर न खराब करें, आपके बुरे और अच्छे समय मे आपके साथ रहने वाला शिक्षक/शिक्षिका ही साथ देगी।
ये लोग आपको छाड़ के पेड़ पर चढ़ा कर सूली पर चढ़ा देंगे।
विगत दिनों मेरे पडोस में कठुआ में एक 8 साल के बच्ची की साथ हुए अमानवीय, बर्बरता और कायराना हरकत के बाद उनके पिया जी जा इंटरव्यू मेरे ब्लॉग पर उपलब्ध है।समय मिले तो अवश्य एक बार देखें ।
ये सही में हमारे देश की शान है और इन पर नाज करें।
सदा की तरह आपके विचारों का इंतेजार और स्वागत रहेगा।
आपका
उमाकान्त त्रिपाठी।